(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
‘एकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होइ’- इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?
कवि इस पंक्ति के द्वारा शास्त्रीय ज्ञान की अपेज्ञा भक्ति व प्रेम की श्रेष्ठता को प्रतिपादित करना चाहते हैं। इस पंक्ति के द्वारा कबीर ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति प्रेम का पाठ पढ़ ले तो वह ज्ञानी हो जाएगा। उनके अनुसार जो व्यक्ति उपने आराध्य के लिए प्रेम का एक अक्षर भी पढ़ ले अर्थात् जिसके हृदय में प्रेम तथा भक्ति भाव उत्पन्न हो जाए तो वह अपने आत्मरूप से परिचित हो जाता है। प्रेम और भाईचारे के पाठ से बढ़कर कोई ज्ञान नहीं है। मोटी-मोटी किताबें पढ़कर भी वह ज्ञान नहीं मिल पाता। इस पंक्ति के माध्यम से सचेत करते हुए कवि कहता है कि केवल बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ लेने से ईश्वरीय ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती बल्कि इसके लिए मन को सांसारिक मोह-माया से हटाकर ईश्वर भक्ति में लगाना पड़ता है।